एक सहारा भोलेनाथ(शिव स्तुति)

ॐ नमः शिवाय ( शिव स्तुति )

करुणा दयालु दुःख दूर कर शिव शंकर स्वामी।
एक सहारा भोलेनाथ हो बाघाम्बर वाले॥

कोई चढावै गंगा जल धारा कोई चाढावे कच्चा दूध।
हो बाघाम्बर वाले करुणा दयालु दुःख दूर कर॥

शिव शंकर स्वामीएक सहारा भोलेनाथ हो बाघाम्बर वाले

हरी हरी बेल पतियाँ चंदन और चावल और चढ़ाऊं।
फल फूल हो बाघाम्बर वाले करुणा दयालु दुःख दूर कर॥

शिव शंकर स्वामीएक सहारा भोलेनाथ हो बाघाम्बर वाले

भाँग धतुरा शिव जी को भोग लगत है
भँगिया पियो भर पुर हो बाघाम्बर वाले

शिव शंकर स्वामीएक सहारा भोलेनाथ हो बाघाम्बर वाले

नन्दी के असवारी हो शिव जी हाथ लिये हो त्रिशुल।
हो बाघाम्बर वाले करुणा दयालु दुःख दूर कर॥

शिव शंकर स्वामीएक सहारा भोलेनाथ हो बाघाम्बर वाले

वामे अंग में गिरिजा विराजे गोदि में लियो हैं गणेश
हो बाघाम्बर वाले करुणा दयालु दुःख दूर कर

शिव शंकर स्वामीएक सहारा भोलेनाथ हो बाघाम्बर वाले

सेवा न जानूं बाबा पूजा न जानूं मैं तो जानूं बस तेरा नाम।
हो बाघाम्बर वाले करुणा दयालु दुःख दूर कर॥

शिव शंकर स्वामीएक सहारा भोलेनाथ हो बाघाम्बर वाले

अर्जी हमारी बाबा मर्जी तुम्हारी अर्जी करो मनजूर
हो बाघाम्बर वाले करुणा दयालु दुःख दूर कर 

शिव शंकर स्वामीएक सहारा भोलेनाथ हो बाघाम्बर वाले



ॐ संकष्ट नाशक स्तोत्रम्

ॐ परब्रह्म स्वरूपाञ्च वेद गर्भाञ् जगन्मयीम्।
शरण्ये त्वामहं वन्दे दुर्गा दुर्गति नाशिनीम॥

कामाख्यं कामदां शयामां कामरूपा मनोरमाम्।
ईश्वरी त्वामहं वन्दे दुर्गा दुर्गति नाशिनीम॥

त्रिनेत्रा हास्य संयुक्तां सर्वालंकार भूषिताम।
विजया त्वामहं वन्दे दुर्गा दुर्गति नाशिनीम॥

ब्रह्मा दिभिः स्तूय मानां सिद्ध गन्धर्व सेविताम।
भवानी न्त्वा महं वन्दे दुर्गा दुर्गति नाशिनीम॥

निशुम्भ शुम्भ मथिनीं महिषा सुर घातिनीम्।
दिव्य रूपा महं वन्दे दुर्गा दुर्गति नाशिनीम॥

विंशत् यद्धं भुजां देवीं शुद्ध कांचन संनिभाम।
गौरी रूपा महं वन्दे दुर्गा दुर्गति नाशिनीम॥

त्रिशुलं खङ्गं चक्रों च वाणं शक्तिं परश्वधम्।
दधानाम् खामहं वन्दे दुर्गा दुर्गति नाशिनीम॥

जगन्मयीं महा विद्यां सृष्टि संहार कारिणीम्।
सर्व दैव महं वन्दे दुर्गा दुर्गति नाशिनीम॥

इदन्तु कवचं दिव्यं महा मन्त्रं महा फलम्।
यः पठेन् मानवो नित्यं अस्मद् भक्नि समन्वितः॥

मत्स्य सूक्तोक्त दुर्गा संकष्ट नाशन स्तोत्रं सम्पूर्णम्

॥शान्ति स्तवं स्तोत्रम्॥

ॐ दुर्गां शिवां शान्ति करीं ब्रह्माणीं ब्रह्माणः प्रियाम।
सर्व लोक प्रणोत्री च प्रणमामि सदा अम्बिकाम॥

मंगलाम् शोभनां शुद्धं निष्कलां परमां कलाम।
विश्वेश्वरी विश्व धात्री चण्डिकां प्रणमाम्य हम्॥

सर्व देव मयी देवी सर्व लोक मया पहाम।
ब्रह्मेश विष्णु नमिताम् प्रणमामि सदा ईमाम॥

विन्ध्य स्थां विन्ध्य निलयां दिव्य स्थान निवासिनीम।
योगिनी योग जननी चण्डिका प्रणमाम्य हम॥

ईशान मातरं देवी मीश्वरी मीश्वर प्रियाम्।
प्रणतोस्मि सदा दुर्गा संसारा र्णव तारिणीम्॥

य इदं पठति स्तोत्रं श्रृणुया द्वापि यो नरः।
समुक्तः सर्व पापेभ्यो मोदते दुर्गाया सह॥

॥माँ वन दुर्गा मन्त्र॥

ॐ उतिष्ठ पुरूषिं किं स्वपीपि भयं मे समुपस्थितं 
यदि शक्यम शक्यम वा तन्मे भगवती समय स्वाहा॥

॥तत्व शुद्धि॥

प्राणापान व्योनो दान समानामे शुद्ध यन्तां।
ज्येति रहं विजया विपाप्मा भूयासं स्वाहा॥

पृथिव्य पतेजो वायु आकाशानि में शुद्ध यण्ताम।
ज्येति रहं विजया विपाप्मा भूयासं स्वाहा॥

प्रकृत्य हकार बुद्धि मनः श्रोत्राणि में शुद्धयन्तां।
ज्येति रहं विजया विपाप्मा भूयासं स्वाहा॥

त्वक चक्षुर जिह्वा घ्राण वचांसि मे शुद्धयन्तां।
ज्येति रहं विजया विपाप्मा भूयासं स्वाहा॥

पाणि पाद पायु पस्था शब्दा में शुद्धयन्तां।
ज्येति रहं विजया विपाप्मा भूयासं स्वाहा॥

स्पर्श रस रूप गंधाका शानि मे शुद्धयन्तां।
ज्येति रहं विजया विपाप्मा भूयासं स्वाहा॥

वायु तेजःसलिल भूम्यात्मा नो मे शुद्धयन्तां।
ज्येति रहं विजया विपाप्मा भूयासं स्वाहा॥