दोहा
नमो महाविधा बरद
बगलामुखी दयाल
स्तम्भन क्षण में करे ,
सुमरित अरिकुल काल
चौपाई
नमो नमो पीताम्बरा भवानी
बगलामुखी नमो कल्यानी
नमो महाविधा वरदानी
अमृत सागर बीच तुम्हारा
रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना
पीताम्बर अति दिव्य नवीना
स्वर्णभूषण सुन्दर धारे
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला
धारे मुद्गर पाश कराला
भैरव करे सदा सेवकाई
सिद्ध काम सब विघ्न नसाई
तुम हताश का निपट सहारा
करे अकिंचन अरिकल धारा
तुम काली तारा भुवनेशी
छिन्नभाल धूमा मातंगी
गायत्री तुम बगला रंगी
सकल शक्तियाँ तुम में साजें
ह्लीं बीज के बीज बिराजे
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन
मारण वशीकरण सम्मोहन
दुष्टोच्चाटन कारक माता
साधक के विपति की त्राता
नमो महामाया प्रख्याता
मुद्गर शिला लिये अति भारी
प्रेतासन पर किये सवारी
तीन लोक दस दिशा भवानी
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को
बुध्दि नाशकर कीलक तन को
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके
हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके
चोरो का जब संकट आवे
रण में रिपुओं से घिर जावे
वाद विवाद न निर्णय पावे
मूठ आदि अभिचारण संकट
राजभीति आपत्ति सन्निकट
ध्यान करत सब कष्ट नसावे
भूत प्रेत न बाधा आवे
सुमरित राजद्वार बंध जावे
सभा बीच स्तम्भवन छावे
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर
सर्व रोग की नाशन हारी
अरिकुल मूलच्चाटन कारी
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक
नमो नमो पीताम्बर सोहक
तुमको सदा कुबेर मनावे
श्री समृद्धि सुयश नित गावें
दुःख दारिद्र विनाशक माता
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता
शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता
नमो माता बगला महारानी
जो तुमको सुमरै चितलाई
योग क्षेम से करो सहाई
आपत्ति जन की तुरत निवारो
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी
अर्थ न आखर करहूँ निहोरी
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया
हाथ जोड़ शरणागत आया
सारे संकट करहुँ निवारा
नमो महादेवी हे माता
पीताम्बरा नमो सुखदाता
सोम्य रूप धर बनती माता
सुख सम्पत्ति सुयश की दाता
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो
अरि जिव्हा में मुद्गर मारो
नमो महाविधा आगारा
आदि शक्ति सुन्दरी आपारा
दया करो पीताम्बरी माता
दोहा
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं
अरि समूल कुल काल
माँ बगले तत्काल
पीताम्बरां पीत माल्यां पीता भरण भूषिताम
पीत कञ्ज पद द्वन्द्वां बगला अम्बां भजे अनिशम्
पीत शङ्ख गदा हस्ते पीत चन्दन चर्चिते
बंगले मे वरं देहि शत्रु सङ्घ विदारिणि
वन्दे अहम् बगलां देवीं पीत भूषण भूषिताम्
तेजो रूप मयीं देवीं पीत तेजः स्वरूपि णीम
गदा भ्रमण भिन्ना भ्राम् भ्रृकुटी भीषणा ननाम्
भीष यन्ती भीम शत्रून भजे भक्तस्य भव्यदाम्
पूर्ण चन्द्र समानास्यं पीत गन्धा अनु लेपनाम्
पीताम्बर परीधानां पवित्रा माश्रया मयहम्
पालयन्ती मनुबलं प्रसमीक्ष्या अवनीतले
पीताचार रतां भक्तांस्तां भवानीं भजाम्य हम
पीत पद्य पद द्वन्द्वां चम्पका रण्य रोपिणीम्
पीता वतंसां परमां वन्दे पद्मज वन्दिताम्
॥ ॐ ह्लीं माँ पीताम्बरा नमः ह्लीं ॐ ॥
जय जय माँ पिताम्बरा
ॐ बगला पूर्वतो रक्षेद आग्नेय्यां च गदा धरी।
पीताम्बर दक्षिणे च स्तम्भिनी चैव नैर्ऋते॥
जिह्वा कीलिन्यतो रक्षेत पश्चिमे सर्वदा हि माम्।
वायव्ये च मदोन्मता कौबेर्यां च त्रिशूलिनी॥
ब्रह्मास्त्र देवता पातु ऐशान्यां सततं मम।
संरक्षेन मां तु सततं पाताले स्तव्ध मातृका॥
ऊर्ध्वं रक्षेन् महा देवी जिह्वा स्तम्भन कारिणी।
एवं दश दिशो रक्षेद बगला सर्व सिद्धिदा॥
एवं न्यास विधिम् कृत्वा यत् किञ्चित जपमा चरेत
तस्याः सं स्मरणा देवी शत्रूणां स्तम्भन