जग जननी जय जय, माँ जगजननी जय जय।
भयहारिणि, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥
तू ही सत चित सुखमय, शुद्ध ब्रह्म रूपा।
सत्य सनातन सुन्दर, पर शिव सुर भूपा॥
आदि अनादि अनामय, अविचल अविनाशी।
अमल अनन्त अगोचर, अज आनँद राशी॥
अविकारी, अघहारी, अकल, अलाधारी।कर्ता विधि, भर्त्ता हरि, हर सँहार कारी॥
तू विधि वधू, रमा, तू उमा, महामाया।मूल प्रकृति विद्या तू, तू जननी, जाया॥
राम, कृष्ण तू, सीता, व्रजरानी राधा।
तू वांछा कल्पद्रुम, हारिणि सब बाधा॥
दश विद्या, नव दुर्गा, नाना शस्त्र करा।
अष्टमातृका, योगिनि, नव नव रूप धरा॥
तू परधाम निवासिनि, महाविलासिनि तू।
तू ही श्मशान विहारिणि, ताण्डव लासिनि तू॥
तू ही श्मशान विहारिणि, ताण्डव लासिनि तू॥
