कृष्ण अ्ष्टकम् स्तोत्रम्

ॐ नमो नारायण नमः 

कृष्ण अ्ष्टकम् स्तोत्रम् 


ॐ भजे व्रजैक मण्डनं समस्त पाप खण्डनं
स्वभक्त चित्त रञ्जनं सदैव नन्द नन्दनम्॥

सुपिच्छ गुच्छ मस्तकं सुनाद वेणु हस्तकं
ह्यनङ्ग रङ्ग सागरं नमामी कृष्ण नागरम्॥

मनोज वर्ग मोचनं विशाल लोल लोचनं
विधूत गोप शोचनं नमामि पद्म लोचनम्॥

करा रविन्द भू धरं स्मिताव लोक सुन्दरं
महेन्द्र मान दारणं नमामि कृष्ण वारणम्॥

कदम्ब सूनु कुण्डलं सुचारु गण्ड मण्डलं
व्रजाङ्ग नैक वल्लभं नमामि कृष्ण दुर्लभम्॥

यशो दया समोदया स गोपया स नन्दया
युतं सुखैक दायकं नमामि गोप नायकम्॥

सदैव पाद पङ्कजं मदीय मानसे निजं
दधान मुक्त मालकं नमामि नन्दबालकम्॥

समस्त दोष शोषणं समस्त लोक पोषणं
समस्त गोप मानसं नमामि कृष्ण लालसम्॥

भुवो भरावता रकं भवाब्धि कर्ण धारकं।
यशोमती किशोरकं नमामि चित्त चोरकम्॥

दृगन्त कान्त भङ्गिनं सदा सदाल सङ्गिनं 
दिने दिने नवं नवं नमामि नन्द सम्भवम्॥ 

गुणाकरं सुखाकरं कृपाकरं कृपापरं
सुर द्विषन्न कन्दनं नमामि गोप नन्दनम्॥

नवीन गोप नागरं नवीन केलि लम्पटं
नमामि मेघ सुन्दरं तडित्प्रभाल सत्पटम्॥

समस्त गोप नन्दनं हृदम् बुजैक मोदनं 
नमामि कुञ्ज मध्यगं प्रसन्न भानु शोभनम्॥

निकाम काम दायकं दृगन्त चारु सायकं
रसोल वेणु गायकं नमामि कुञ्ज नायकम्॥

विदग्ध गोपि कामनो मनोज्ञ तल्प शायिनं 
नमामि कुञ्ज कानने प्रवृद्ध विह्नि पायिनम्॥

किशोर कान्ति राञ्जितं दृगञ्ज नम् सुशोभितं
गजेन्द्र मोक्ष कारिणं नमामि श्री विहारिणम्॥

तदा यदा यथा तथा तथैव कृष्ण सत्कथा
मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम्॥

प्रमाणि काष्ट कद्वयं जपत्य धीत्य यः पुमान्
भवेत् स  नन्द नन्दने भवे भवे सुभक्ति मान्॥

॥इति श्री मच्छ शङ्करा चार्य विरचितं कृष्णाष्टकं सम्पूर्णम्॥